फ़ॉलोअर

वन अनुसंधान सस्थान (FRI)

 दोस्तों पिछले चरण में हमने वन अनुसंधान संस्थान तथा उस में कार्यरत संविदा कर्मचारियों के विषय में पढ़ा था कि किस तरह से भारतीय वन अनुसंधान संस्थान में कार्य कर रहे कर्मचारी यूनियन वालो की वजह से बेरोजगार हुए तथा आज के समय में वन अनुसंधान संस्थान में यूनियन वालों की वजह से दो प्राइवेट लिमिटेड कंपनी आ गई है जो संस्थान के लिए सही नहीं है दो प्राइवेट लिमिटेड कंपनी किसी भी संस्थान में नहीं है मेरा निदेशक महोदय से कहना है कि कृपया करके जल्द से जल्द यूनियन के कर्मचारियों को भी संस्थान से हटाया जाए ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति द्वारा उत्पन्न ना हो।









आज उसी चरण को आगे बढ़ाते हुए हम भारतीय वन अनुसंधान संस्थान में हुई भर्तियों की धांधली के बारे में चर्चा करेंगे जैसा कि आप सभी को ज्ञात है भारतीय वन अनुसंधान संस्थान नियमित तौर पर भर्ती निकालता रहता है जिससे कि जल्दी से जल्दी जल्दी कर्मचारियों  की कमी पूरी हो सके कुछ दिनों पहले ही भारतीय वन अनुसंधान संस्थान में बहुत सी भर्तियां  लिए आवेदन मांगे हैं जिसके अंतर्गत एमटीएस,  लैब असिस्टेंट ,टेक्नीशियन आदि पद है ।






मैं आपको एक बात बताना चाहूंगा इससे पहले भी भारतीय वन अनुसंधान संस्थान ने जितने भी भर्तियां कराई है उन सभी भर्तियों में कुछ ना कुछ कमी हमेशा पाई जाती है इसी के चलते वन अनुसंधान संस्थान ने कुछ पदों के लिए दोबारा पेपर भी कराए हैं इससे पहले जो पेपर हुए थे उसमें बहुत से आवेदन करता ब्लूटूथ से नकल करते हुए पाए गए उनके खिलाफ़ वन अनुसंधान संस्थान ने क्या कार्यवाही की सबसे बड़ा सवाल यहां है ?






तथा उसमें जो भी चयनित अभ्यर्थी थे उनको अभी तक भारतीय वन अनुसंधान की और से जोइनिंग नहीं दी गई निदेशक महोदय से मै यही बात पूछना चाहता हूं जब अभी तक आपने परीक्षा में सफल हुवे अभ्यार्थियों को जॉइनिंग नहीं दी हे तो आपने नई भर्तियां किस तरह से निकाली ?



इसी प्रकरण में उत्तराखंड क्रांति दल के एक वरिष्ठ नेता ने बहुत सही बयान दिया था जो सत प्रतिशत सही है जितनी भी बार वन अनुसंधान संस्थान ने भर्तियां करवाई है उनमें सारे पेपर अपने आप ही तैयार किए हुए हैं जिसके चलते  संस्थान में उनके करिबी लोगों का आसानी से सिलेक्शन हो जाता है और वही प्रक्रिया आज के समय में भी चल रही है जिसकी वजह से योग्य उम्मीदवारों को उनका हक नहीं मिल पाता बीच में संस्थान में ऐसे लोगों का भी सिलेक्शन हुआ है जिनको  अपना नाम तक लिखना नहीं आता तो उन्होंने क्या पेपर की तैयारी की होगी ?






यदि इसी क्रम को आगे बढ़ाया जाए तो वन अनुसंधान संस्थान में जीआरएस एसआरएस व पीएचडी स्कॉलर के लिए भी पेपर होते हैं तथा इंटरव्यू रखे जाते हैं परंतु सिलेक्शन उन्हीं का होता है जिनकी जान पहचान अच्छी होती है बाकी सब का पेपर मैं होना नहीं होना एक बराबर है इसकी वजह क्या है ?





मेरा निदेशक महोदय से बस यही कहना है यदि आप लोग यूके एसएससी यूकेपीएससी के अंतर्गत भर्तियां करवाए तो योग्य उम्मीदवारों को उनका हक मिलेगा । 2013 से लेकर अभी  तक भारतीय वन अनुसंधान संस्थान में हूवी भर्ती की विजिलेंस जाज कराई जाए।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें