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हमारी पुलिस के कर्तव्य(duties of our police)

 पुलिस का नाम सुनते ही कई लोगों को गुस्सा आता है तो कई लोग उनको गाली देना शुरू कर देते हैं तथा उनके बारे में बहुत ही घृणित सोच रखते हैं क्या वास्तव में पुलिस इतनी घृणित है जैसा कि लोग सोचते देखते हैं चलिए इस बारे में बात करते हैं।




हमारे देश में जिस तरह आर्मी के जवान बाह्य आक्रमण से देश की रक्षा करते हैं उसी प्रकार ग्रह में जो असामाजिक तत्व होते हैं उनसे हमारी रक्षा हमारी पुलिस करती है।



कई बार यह देखा यह सुना जाता है कि पुलिस ने बड़ी ही निर्मलता से किसी को पीटा या कई बार उनके साथ मानवीय व्यवहार किया परंतु क्या किसी एक व्यक्ति विशेष के कारण पूरे पुलिस प्रशासन पर उंगली उठाना सही बात है???



आप मुझे यह बताइए की रिश्वतखोरी भ्रष्टाचार तथा अमानवीय घटनाएं  सिर्फ और सिर्फ पुलिस के द्वारा ही होती हैं नहीं ऐसा बिल्कुल भी नहीं है।



एक पुलिसकर्मी जब ड्यूटी के लिए घर से बाहर निकलता है तो वह घर वापस कब आएगा उसका कोई ठिकाना नहीं होता है दूसरी बात यह है कि वह अपने घर से दूर होता है तथा जहा उसकी पोस्टिंग होती है उसी को अपना घर बना लेता है।



कई तीज त्यौहार में होली दीपावली में आप की सुरक्षा के लिए 24 घंटे मुस्तैद रहता है कई बार अपने घर में परेशानी होने के कारण भी वह थोड़ा चिड़चिड़ा और गुस्सा हो जाता है क्योंकि पुलिस में तीज त्योहारों पर छुट्टी नहीं मिलती कई बार तो ऐसा भी हुआ है कि घर में अपने मां बाप भाई बहन यह किसी की मृत्यु हो जाने पर भी उसको घर जाने के लिए अनुमति नहीं मिलती आप नहीं सोच सकते कि उसको कितनी मानसिक व शारीरिक पीड़ा सहनी पड़ती है।



आप लोग तो यह सोचते हैं की पुलिस की नौकरी बहुत आसान है परंतु ऐसा बिल्कुल भी नहीं है पुलिस के कारण ही कई बार बहुत सी जाने भी बच जाती हैं जब रात में सोए होते हैं तो पुलिस रात भर जागती है कई बार रोड में एक्सीडेंट हो जाते हैं तथा रात होने के कारण बहुत ही कम संभावना होती है कि कोई वहां से गुजरे तथा उनकी मदद करें इस समय पुलिस ही काम आती है जो कि राहगीरों को जल्द से जल्द हॉस्पिटल पहुंचा कर उसके घरवालों को इत्तला करती है।



कई बार ऐसा भी होता है की रोड एक्सीडेंट में किसी की मृत्यु भी हो जाती है उस समय पुलिस उस व्यक्ति का शव हॉस्पिटल तक ले जाती है तथा कई बार ऐसा भी होता है कि वह लावारिस शव है जिसका दाह संस्कार भी पुलिस को करना पड़ता है क्या आप जानते हैं की जब किसी लावारिस शव का दाह संस्कार करना होता है या उसकी जहां मृत्यु हुई वहां से हॉस्पिटल ले जाना होता है तो उसके लिए भी उस पुलिसकर्मी जो उस समय ड्यूटी पर मौजूद था उसको धन नहीं दिया जाता उसको स्वयं ही उस व्यक्ति को हॉस्पिटल ले जाना पड़ता है तथा लावारिस होने की दशा में उसका दाह संस्कार भी करना पड़ता है अब आप यह कहेंगे की पुलिस तो किसी को भी रोक कर उसे बोल सकती है कि यह शव को उठाकर हॉस्पिटल ले जाओ तथा उसके बाद उसका दाह संस्कार करवा देना ठीक है मान लिया आपकी इस बात को भी परंतु क्या आप जानते हैं जिस व्यक्ति ने यह कार्य किया पुलिस के लिए क्या वह व्यक्ति भविष्य में यहां पुलिस अपेक्षा नहीं करेगा कि चाहे वह कितना ही गलत काम कर रहा हूं या फिर कितना ही बड़ा मुजरिम क्यों ना हो पुलिस का साथ दें अब आप बताइए इस परिस्थिति में आप क्या करेंगे क्या जिसकी मृत्यु हुई है उस सब को वहीं छोड़ देंगे या फिर अपनी जेब से आप उसका दाह संस्कार करेंगे कई बार पुलिस अपनी जेब से अनगिनत लोगों का दाह संस्कार तक कर देती है यहां बात कोई नहीं देखता परंतु जब पुलिस के द्वारा गलत कार्य होता है तो सब लोग उन पर उंगली उठाना शुरू कर देते हैं किसी पर उंगली उठाना तो बहुत आसान है परंतु उनका कार्य करना बहुत कठिन है।



कई बार थाने में मुजरिम आते हैं तब पुलिस कॉन्स्टेबल को उनको कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करना होता है आपने कभी देखा होगा कि एक ही बाइक पर दो पुलिसकर्मी एक व्यक्ति को बिठा कर ले जा रहे हैं तब आप बोलते हैं कि देखिए पुलिस खुद नियमों का पालन नहीं करती परंतु आप उसके पीछे का रहस्य जानने की चेष्टा नहीं करते थाने में मुजरिम आने के पश्चात जब किसी कॉन्स्टेबल की ड्यूटी लगाई जाती है तो वह अपने वाहन पर उसको कोर्ट लेकर जाता है कोर्ट ले जाने के पश्चात वहां पर उस पर कार्यवाही की जाती है यदि उस पर लगाया गया रहता है तथा उसको अपराधी मान लिया जाता है तब उस पुलिसकर्मी को अपने वाहन से उस अपराधी को कारागार तक छोड़ने जाना पड़ता है तथा यदि भुखा हो तो उसको खाना भी खिलाना पड़ता है वह भी स्वयं के पैसों से इतना ही नहीं पुलिसकर्मी इस ड्यूटी के दौरान जब तक वह अपराधी मुजरिम सिद्ध होने के पश्चात जब तक कारागार मैं नहीं चला जाता तब तक वह पुलिसकर्मी मौका ही रहता है क्योंकि यदि वह खाना खाने बैठ जाएं या फिर थोड़ा विश्राम करने यदि इस बीच मुजरिम भाग गया तो पुलिसकर्मी पर ही कार्रवाई की जाती है। क्या आप इस प्रकार कार्य कर सकते हैं जबकि आप जानते हैं कि इस कार्य का आपको पैसा नहीं मिलेगा।






कोई भी व्यक्ति जब कार्य करता है वह अपेक्षा करता है कि वह अधिक से अधिक धन कमाए तथा उस धन का उपयोग अपने वह अपने परिवार किस सुख शांति के लिए करें परंतु एक पुलिसकर्मी ना तो उस धन के साथ उसका ठीक से उपयोगी कर पाता है और ना ही खुशी रहता है क्योंकि एक मनुष्य की खुशी उसके परिवार के साथ होती है और जो वह परिवार से दूर होता है तो वह वैसे ही परेशान रहता है ऊपर से उसके ऊपर इस तरह से ड्यूटी लगाई जाती है जिससे उसको आर्थिक तथा मानसिक दोनों तरह का उत्पीड़न होता है।



पुलिस के अधिकारियों को कई प्रकार की सुविधाएं मिलती हैं जैसे सरकारी गाड़ी रहने के लिए घर बिजली पानी इत्यादि परंतु एक छोटे कर्मचारी कॉन्स्टेबल के लिए उसको मूलभूत सुविधाएं नहीं मिलती।



आजकल तो आप जानते ही हैं कि कोरोनावायरस महामारी चल रही है इस दौरान पुलिसकर्मी अपनी पूर्ण निष्ठा भाव से जनता की ही सुरक्षा के लिए जनता के ऊपर रोक लगा रहे हैं कि आप घर से बाहर ना निकले चलीए जरा विचार कीजिए अगर लोग बाहर निकले और उन्हें पुलिस ना रोके तो उससे क्या होगा क्या कभी विचार किया है आपने आप सभी जानते हैं इस समय देश की स्थिति बड़ी दयनीय हो चुकी है और यह संक्रमण इसी तरह चलता रहा तो देश आर्थिक रूप से बहुत कमजोर हो जाएगा पुलिसकर्मी जगह-जगह चौक चौराहे पर खड़े हैं।




 तथा आपसे अपील कर रहे हैं कि आप घर से बाहर ना निकले कई पुलिसकर्मी ड्यूटी के दौरान अपनी जान भी गवां चुके हैं अब आप में से कई लोग कहेंगे यह तो उनका कार्य है तो उन्हें करना ही होगा बात भी ठीक है परंतु क्या बता सकते हैं कि हमारे देश की आर्मी के जवान भी ड्यूटी के दौरान वीरगति को प्राप्त होते हैं उनके लिए इतना सम्मान और पुलिसकर्मियों के लिए सम्मान तो छोड़िए जरा सी सहानुभूति भी नहीं ऐसा क्यों एक जो शिक्षक घर में बैठा है उसको हजारों रुपए सैलरी मिल रही है परंतु एक जवान जो आपके और हमारे लिए 24 घंटे रोड पर खड़ा है उसको क्या मिलता है।


 कभी सोचा है आपने छोटी छोटी चीजों के लिए भी उसको संघर्ष करना पड़ता है क्या आप जानते हैं आजकल किराए पर कमरे में 8 से 10000 से कम में नहीं मिलते परंतु जो पुलिसकर्मी किसी अन्य जिले में जाकर ड्यूटी करता है उसको हाउस रेंट के नाम पर अभी भी 3 से ₹4000 ही मिलते हैं जोकि बहुत कम है एक पुलिसकर्मी जो 24 घंटे ड्यूटी पर उपलब्ध रहता है उसकी सैलरी एक चपरासी के बराबर है तो आप या सो सकते हैं कि पुलिस को मूलभूत सुविधाओं के लिए भी संघर्ष करना पड़ता है। आप खुद विचार कीजिए कि आप घर से बाहर हैं 24 घंटे की ड्यूटी पर हैं खाने का पता नहीं घर में आपके कोई बीमार पड़ा है आपको उससे मिलने जाना है ।


किसी की अंतिम सांसे चल रही हैं जो आपके परिवार में हो परंतु आप जा नहीं सकते विचार कीजिए कितना मानसिक उत्पीड़न होता है एक पुलिसकर्मी के साथ एक छोटे दर्जी का पुलिसकर्मी कॉन्स्टेबल उसको ना तो सुविधाएं मिलती हैं और ना ही सम्मान आप ही बताइए ऐसे में कोई व्यक्ति कैसे अपनी ड्यूटी को पूरी ईमानदारी और सत्यनिष्ठा से पूर्ण कर पाएगा जिस व्यक्ति को अपना घर मां बाप पत्नी सब को छोड़कर आपकी सेवा करनी है आप की सुरक्षा करनी है और आप उसी व्यक्ति से दूर व्यवहार कर रहे हैं उसको अपमानित कर रहे हैं फिर भी वह आपके लिए हमेशा खड़ा है तो ऐसे व्यक्ति का सम्मान करना चाहिए या फिर उस को अपमानित करना चाहिए?



यह तो हो गए कुछ उदाहरण जिससे पुलिस की उपयोगिता का पता चलता है तथा उनके प्रति हमें सद्भावना तथा सम्मान की दृष्टि रखनी चाहिए अब बात कर लेते हैं भ्रष्टाचार की

आप लोगों में से कई लोग यह कहते हैं की पुलिस बहुत भ्रष्ट है चलिए मान लिया पुलिस भ्रष्ट है लोगों से पैसा लेती है तथा उनका काम भी नहीं करती पुलिस को ब्रश इसलिए कहा जाता है क्योंकि पुलिस रोड में पैसा लेती है आप ही बताइए आज के दौर में कौन ऐसा व्यक्ति है जो रिश्वत नहीं लेता दफ्तरों में टेबल के नीचे कितनी रिश्वत दी जाती है इसका कोई अंदाजा नहीं है परंतु जो पुलिसकर्मी रोड पर खड़ा है 24 घंटे वह ₹100 भी ले ले तो उसमें भी बवाल हो जाता है आप जानते हैं कोई पुलिसकर्मी आपसे रिश्वत क्यों लेता है ।


इसका जवाब सबको पता है आप खुद ही गलती करते हैं और उस गलती के बड़ी सजा ना मिले इस से छुटकारा पाने के लिए ही आप खुद ही पुलिसकर्मी को रिश्वत देते हैं ताकि आपका उससे पीछा छूट जाए और उसके बाद पुलिस को भी इसके लिए जिम्मेदार आते हैं जब आप खुद किसी व्यक्ति को अपने स्वार्थ के लिए या दंड से बचने के लिए रिश्वत देंगे तो फिर आप किस प्रकार उस पर लांछन लगा सकते हैं कि उसने रिश्वत मांगी हैं।



चलिए यह तो बात हो गई रिश्वत लेने और देने की परंतु कई पुलिसकर्मी ऐसे भी हैं जो अपने काम के प्रति सजग व ईमानदार हैं परंतु ऐसे व्यक्तियों के साथ आपने अक्सर देखा होगा कि वह हर समय ही परेशान रहते हैं ऐसा क्यों है कभी सोचा है आपने कोई व्यक्ति ईमानदारी से अपना काम कर रहा है तो उसमें कई अधिकारी उस पर दबाव बनाते हैं की मेरे हित का कार्य कर यदि वह पुलिसकर्मी उनके लाभ का कार्य ना करके सही कार्य करता है तो उसको इसका बहुत बड़ा दंड भुगतना पड़ता है ।



कई बार उसको सस्पेंड कर दिया जाता है या अन्यत्र जगह ट्रांसफर कर दिया जाता है इससे उस पुलिसकर्मी का मनोबल टूटता है फिर वह जी हजूरी और नौकरशाही करने पर मजबूर हो जाता है यदि वह ऐसा नहीं करता तो फिर उसको अन्य प्रकार से प्रताड़ित किया जाता है जैसे कि छुट्टी ना देना ऐसी जगह ड्यूटी लगा देना जहां से वहां ना तो अपने घर जा पाए और ना ही वहां कोई सुख सुविधाएं हो मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिलती ऐसे पुलिसकर्मी को जोकि अपना काम बड़ी ईमानदारी से करता है इस कारण से ही कई पुलिसकर्मी भ्रष्ट हो जाते हैं।


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