मानव ऊपर वाले द्वारा रचित एक अनमोल कृति अब यहां पर मैं किसी व्यक्ति विशेष समुदाय की बात नहीं कर रहा हूं इसीलिए ऊपरवाला शब्द का प्रयोग कर रहा हूं।
मानवता होती क्या है किसी व्यक्ति का दुख देखकर उसके दुख में शामिल होना तथा जो अपने से हो सके उसके लिए वह सब कार्य करना मानवता के अंतर्गत आते हैं।
परंतु क्या आज मानव के अंदर मानवता रह गई है ध्यान से देखने पर यह पता चलता है की मानव आज के दौर में कटोरे वाला हो गया है उसे सिर्फ अपने से ही मतलब है दूसरे से कुछ नहीं।
चलिए चलो मान लेते हैं की उससे गलती से उस कुत्ते के शावक की मृत्यु हो गई परंतु उसके बाद उसके द्वारा उसके शव को नाली में फेंक कर चले जाने को मेरा हृदय स्वीकार नहीं कर पा रहा है आप में से कई लोग यहां सोचेंगे कि वह कुत्ते का शावक मेरे घर के पास रहता था तू मुझे इसलिए दुख हो रहा है तो यह बात भी सही है परंतु यदि इस घटना को पढ़ने के बाद आपको किंचित भी दुख नहीं होता तो फिर आप मनुष्य कहलाने के लायक नहीं है क्योंकि मनुष्य संवेदनाओ दुख, खुशी इन सब को व्यक्त कर सकता है तथा समझ सकता है यदि आप इन संवेदनाओ को नहीं समझ पाए तो आप मनुष्य नहीं है।
चलिए यह तो बात हो गई एक ऐसे मनुष्य की जिसके अंदर मानवता नाम की सबसे बड़ा गुण ही नहीं है बात कर लेते हैं कुछ अच्छे व्यक्तियों की जोकि सच में मानवता को पूर्ण रूप से परिभाषित करते हैं ऐसे ही एक व्यक्तित्व से आज मिला जोकि सड़क में घूमते हुए आवारा पशुओं को चोट लगने पर खाना खिलाते हैं उनकी मरहम पट्टी करते हैं तथा जब तक वह ठीक नहीं हो जाते तब तक उनका ध्यान रखता है ।
ऐसे ही व्यक्ति मानवता के लिए आवश्यक है जब मैंने उनसे पूछा कि आपको इस कार्य के लिए कहीं से धन प्रोत्साहन के रूप में मिलता है तो उन्होंने बड़े ही सहज भाव से बताया कि वह तो बस सेवा करते हैं तथा जो लोग उनकी सेवा भाव को समझ लेते हैं वहां उनको आर्थिक रूप से अवश्य सहायता प्रदान करते हैं
सवाल यह उठता है कि कुछ लोग मानवता को बचा रहे हैं और कुछ लोग का मानवता का गला घोट रहे हैं अब हमें यह भी सोचना है तथा समझना है कि कौन व्यक्ति किस प्रकार का है तथा कौन व्यक्ति समाज के लिए हानिकारक है हमें उसे पहचान कर उसे अपने समाज से निष्कासित कर देना चाहिए जोकि इस प्रकार के कृत्य करता है।
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