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हमारे जीवन के कर्तव्य

 कर्तव्य कहने को तो एक छोटा सा शब्द है परंतु इसका निर्वाहन करने में  मनुष्य कई बार असफल हो जाता है।



 तो कई बार प्रयास भी नहीं करता इसका क्या कारण हो सकता है यह मनुष्य स्वार्थी हो गया या फिर वह इस काबिल नहीं है वहां इस कर्तव्य की पूर्ति कर सकें अब प्रश्न यह उठता है कि मनुष्य अपने काम जिम्मेदारी के प्रति सजग नहीं है या फिर वह उस काम को करना ही नहीं चाहता जिससे उसका भरण पोषण होता है ।



वह तो बस समय व्यतीत करना चाहता है समय व्यतीत हो जाए और समय पर उसको उसकी कार्य की सैलरी मिलती रहे चाहे वहां काम करें या ना करें सैलरी से इसका मतलब रहता है



 इसका जीता जागता उदाहरण सरकारी कर्मचारी हैं जो कुछ काम नहीं कर के देते परंतु समय पर सैलरी आने पर क्रोधित हो जाते हैं और यहां तक की आंदोलन की चेतावनी भी दे देते हैं यह तो हुआ मनुष्य की कर्तव्य का एक उदाहरण है अभी दूसरा  उदाहरण  आपको देना चाहूंगा आपने देखा होगा ट्रैफिक सिग्नल पर कई औरतें अपने छोटे-छोटे बच्चों को लेकर भीख मांगती हुई दिखती है कई बार आप और हम उन्हें भीख दे देते है परंतु क्या उस स्त्री के सिग्नल पर भीख मांग रही है ।



उसके पति का यह कर्तव्य नहीं बनता कि वहां अपनी पत्नी का भरण पोषण करें तथा अपने बच्चे को शिक्षा के लिए प्रेरित करें परंतु वहां व्यक्ति अपने कर्तव्य का निर्वहन नहीं करता और क्यों नहीं करता क्योंकि वह स्वार्थी हो चुका है या इन सब का आदि हो चुका जब उस मनुष्य की या क्षमता ही नहीं है कि वह अपना पेट पाल सकें तो किसी स्त्री को अपने जीवन में लाना क्यों आवश्यक है उसके लिए जबकि वह जानता है कि वो खुद इतना काबिल नहीं नहीं है।







 ऐसे कई उदाहरण है जिससे हमारा सामना होता ही रहता है परंतु प्रश्न होता है अपने कर्तव्य को सब भूल कर क्यों विलासिता भोग में डूबे हुए हैं कोई कहता है कि वह अज्ञानी है जो अपना पेट नहीं भर पा रहे हैं और शादी कर लेता है परंतु मैं यह कहना चाहूंगा कि यदि वह अज्ञानी है ।



तो वहां खाना क्यों खाते हैं जो यह जानता है कि भोजन से मेरा पेट भरेगा तथा भोजन के द्वारा मैं जीवित रहता हूं और रह पाऊंगा वह अज्ञानी कैसे हो सकता है इन सब दृश्य को देखकर मन छिन्न-भन्न हो जाता है परंतु हम कर भी क्या सकते हैं यदि हमारे बस में कुछ होता तो सर्वप्रथम खुद को ही प्रेरित करता कि मैं भी अपने कर्तव्य के प्रति सजग व निष्ठावान रहूं कर्तव्य तो कई प्रकार के होते हैं और हर कर्तव्य को निभाने के लिए सबसे पहले मनुष्य में निष्ठा होनी चाहिए जब हमारे अंदर अपने कर्तव्य के प्रति निष्ठा होगी तो ही हम अपने कर्तव्य को सही प्रकार से निभा पाएंगे

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