फ़ॉलोअर

हमारे समाज मैं नारी की दशा

 आज के समाज में स्त्रियों को जिस प्रकार से प्रताड़ित किया जा रहा है वह बहुत ही निंदनीय है अपने कई बार अखबार में पढ़ा होगा यहां आए दिन टीवी पर न्यूज़ देखी होगी जिसमें स्त्रियों पर होते अत्याचार को प्रदर्शित किया जाता है और यह बताया जाता है कि स्त्री की दशा बहुत ही बेकार हो चुकी है।




भारतीय इतिहास में तथा वेदों में स्त्री को उचित स्थान प्राप्त है तो फिर सवाल यह उठता है कि जब हमारे वेद पुराण भी स्त्री को आदर की दृष्टि से देखते हैं तो फिर उनके साथ इस तरह का दुर्व्यवहार क्यों हो रहा है गहन विचार करने पर समझ आता है कि स्त्रियों पर हो रहा दुर्व्यवहार का कारण कहीं ना कहीं मनुष्य की छोटी मानसिकता व अज्ञानता है जिसके फलस्वरूप ऐसे कार्य करता है मनुष्य से यहां मेरा मतलब पुरुषों से है।







भारतीय समाज पुरुष प्रधान समाज है जहां पर पुरुषों को सर्वे सर्वा माना जाता है चाहे वह कुछ भी करें उनके लिए कोई पाबंदी नहीं है परंतु स्त्रियों के लिए हर जगह नियम व कानून बनाए गए हैं यदि कोई पुरुष किसी को छेड़ता है ।



तो वह उसको मानसिक व शारीरिक रूप से बहुत कष्ट हो जाता है वह यह नहीं सोचता कि कल को उसका विवाह हुआ तथा उसके घर में ही पुत्री ने जन्म लिया और उसके साथ इस प्रकार की घटना हुई तो वह इस प्रकार की कृतियों को एक पिता होने के नाते सहन कर पाएगा समस्या यही है हम यह सोचते हैं कि पुरुष होने के नाते हम कुछ भी कर सकते हैं परंतु जब स्वयं पर उसी प्रकार की विपत्ति आती है तब वह टूटता है रोता है तथा विलाप करता है।




जब एक स्त्री दुनिया में जन्म लेती है तो वह किसी की बहन किसी की बेटी मैं किसी की पत्नी बनती है उसके लिए हमें अच्छी सोच रखनी चाहिए तथा उसे उसी प्रकार सम्मान देना चाहिए जिस प्रकार हम अपने लिए सोचते हैं अपने बच्चों को खास तौर पर लड़कों को यह सिखाना चाहिए की स्त्री कोई वस्तु नहीं है जिससे आप अपना मन बहलाएं बचपन से ही उन्हें या सिखाना चाहिए कि स्त्री की इज्जत करो उनके लिए आदर भाव रखो क्योंकि स्त्री से ही यह सारी सृष्टि का सृजन होता है स्त्री के बिना ना ही सृष्टि का सृजन हो पाएगा और ना ही उनका कोई निशा इस पृथ्वी पर बाकी रहेगा।





जो नारी अपना सब कुछ छोड़कर हमारे जीवन साथी के रूप में आती हैं उसका सम्मान भी उसी प्रकार कश्रना चहिए जैसे परिवार में अन्य सदस्यों का होता है।


1 टिप्पणी: