हम सब यह जानते हैं कि मनुष्य जन्म लेता है और उसकी मृत्यु हो जाती है महाभारत में भी श्री कृष्ण जी के द्वारा यह बताया गया है कि मनुष्य आत्मा परमात्मा का ही एक अंश है जिसको मृत्यु के उपरांत उसी परम आत्मा में मिल जाना है।
भगवान श्री कृष्ण द्वारा उनको प्राप्त करने के बाद उस परमात्मा में मिलने के दो रास्ते बताए गए हैं सांख्य योग वा कर्म योग अब प्रश्न यह उठता है कि जन्म से ही हमें यह बताया जाता है ।
भगवान हमारे माता पिता के समतुल्य हैं तो वहां हमारे सामने इस प्रकार की शर्तें क्यों रखते हैं की आप इस प्रकार के कार्य करेंगे तो वही आपका भला होगा या फिर आप मोक्ष प्राप्त हो जाएंगे ।
कभी आपके माता पिता ने जिन्होंने आप को जन्म दिया है यह शर्त रखी है की आप इस प्रकार का कार्य करेंगे तो ही वह आपको अपना स्नेह देंगे या फिर आप का पालन पोषण करेंगे मैं किसी धर्म के प्रति कोई टिप्पणी नहीं कर रहा हूं बस यह जानना चाहता हूं कि जब हमने जन्म लेने के उपरांत मर जाना है और शून्य से शुरू होकर सुनने में मिल जाना है तो यह आडंबर क्यों स्वयं विचार कीजिए धन्यवाद।
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