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जीवन की हकीकत मृत्यु(reality of life death)

एक ऐसा अखण्ड सत्य जो इसी ब्रह्मांड में किसी ना किसी रूप में विद्यमान है इसे आज तक किसी ने नहीं देखा ओर ना ही किसी ने महसूस किया परन्तु इस मृत्युलोक में आए प्रत्येक मनुष्य से लेकर जीव जंतु तक की मृत्यु निश्चित है। 



मृत्यु के बाद मनुष्य का क्या होता है यह अभी तक एक अनसुलझी पहेली बनी हुई है। सभी मनुष्य जीव जंतु अपना एक निश्चित समय लेकर इस मृत्यु लोक में आते हैं और एक निश्चित समय पर अपना जीवन पूरा कर कर इस मृत्युलोक से चले जाते हैं परंतु जाते कहां है इस बारे में आज तक किसी को कुछ नहीं पता । 




हमारे पुराणों में वर्णित है कि मृत्यु के बाद मनुष्य की आत्मा पुनः जन्म लेती है परन्तु मुझे आज तक यह समझ नहीं आया कि यदि मनुष्य की आत्मा पुनः जन्म लेती है तो हम लोग अपने पुर्वजों का शारद कयो करते हैं ? 



 आपमें से कोई भी मुझे इस बात की जानकारी देने की कृपा करें। 




 जिंदगी में दो मिनट कोई मेरे पास ना बैठा, आज सब मेरे पास बैठे जा रहे हैं... कोई तोहफा ना मिला आज तक, और आज फूल ही फूल दिए जा रहे हैं... तरस गए थे हम किसी एक हाथ के लिए, और आज कन्धे पे कन्धे दिए जा रहे थे... दो कदम साथ चलने को तैयार ना था कोई, और आज काफिला बन साथ चले जा रहे थे... आज पता चला की मौत कितनी हसीन थी, कम्बख्त हम तो यूँ ही जिंदगी जिये जा रहे थे...




इस महामारी से मरने के बाद तुम्हारी गीनती ना हिंदू मैं होगी ना मुसलमान मैं होगी। बस भारत में कितने मरे उस में होगी। हमेशा हम सब को मिलकर रहना चाहिए।



कोई भी किसी की मृत्यु का कारण नहीं बनता काल खुद मृत्यु का कारण बना लेता है कौन सी डाली कैसी है जिस पर फूल खिला पिला  और डाल से नहीं गिरा कौन सी जीवन ज्योति ऐसी है जो  प्रज्वलित हुई और बुझी नहीं मैं तुम पृथ्वी पर जन्मा प्रत्येक जीव सब एक दिन काल के काल में चले जाएंगे ये विधि का विधान है।




असली सवाल यह नहीं है कि मृत्यु के बाद जीवन का अस्तित्व है या नहीं। असली सवाल यह है कि क्या आप मृत्यु से पहले जीवित है।




मृत्यु के बहुत सारे कारण हो सकते है इसका निर्धारण कोन करें परन्तु आज के समय में कुछ कहावतें सच्ची होती जा रही है उस का एक उदहारण में आपको दे रहा हूं।




जिस प्रकार जब तक किसी भी पेड़ के पुराने पत्ते नहीं गिरते तब तक उसमें मे पत्ते नहीं आते उसी प्रकार मनुष्य की नव युग की शुरुआत के लिए मनुष्य की मृत्यु आवश्यक है।





किसी वीर ने मृत्यु के बारे में सही कहा है हे मृत्यु तैयार यदि तू आने को  प्रसन्न मुहका बाहे फेलाके मुस्कुरा के करता अपने अथिति का स्वागत अपनी मृत्यु को हम टाल नहीं सकते परंतु जब भी आए उसका स्वागत हमेशा हंसते हुए करो।











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